शहरों के पहले बाशिंदे: छह पैरों वाले खूनचूसने वाले खटमल की पुरानी कहानी

जब इंसान जंगलों और गुफाओं से निकलकर स्थायी बस्तियों में बसने लगे, तो उन्होंने अकेले यह कदम नहीं उठाया। उनके साथ कुछ छोटे, मगर बेहद चतुर साथी भी आए — खटमल। विज्ञान अब यह बता रहा है कि ये खून चूसने वाले कीड़े हमारे शुरुआती शहरों के पहले “शहरी कीट” थे।

खटमल की पुरानी कहानी

आज भले ही खटमल सिर्फ बिस्तरों और गद्दों में छिपते नजर आते हों, लेकिन उनकी कहानी बहुत पुरानी है। शुरुआती दौर में ये कीट चमगादड़ों का खून चूसते थे। लेकिन लगभग ढाई लाख साल पहले, इनका एक वंश मनुष्यों की ओर मुड़ा — शायद निएंडरथल जैसे आदिम मानवों के साथ शुरुआत हुई — और फिर इनका जीवन इंसानों के साथ गहराई से जुड़ता चला गया।

शहरों का उदय, खटमलों का विस्फोट

शोधकर्ताओं के मुताबिक लगभग 13,000 साल पहले मानव आबादी में एक तेज़ उछाल आया, जो 7,000 साल पहले और बढ़ा। यह वही समय था जब पश्चिमी एशिया में पहले शहर उभरने लगे थे। जब लोग स्थायी रूप से रहने लगे, एक-दूसरे के करीब आए, तो खटमलों के लिए यह सुनहरा मौका बन गया। पहले जहाँ वे सीमित समूहों में रहते थे, अब उन्हें एक बड़ा, सघन और स्थायी भोजन स्रोत मिला — और वो भी बिना ज्यादा घूमे।

शहरी जीवनशैली ने न सिर्फ इंसानों की जिंदगी बदली, बल्कि उन कीड़ों की भी, जो इंसानों पर निर्भर थे। खटमल एक उदाहरण है कि कैसे एक कीट प्रजाति ने पूरी तरह से खुद को हमारे साथ रहने के लिए ढाल लिया।

शहरी कीटों में सबसे पहले

आज भी खटमल पूरी तरह मनुष्यों पर निर्भर हैं — वो जंगलों या खुले मैदानों में खुद नहीं टिक सकते। वर्जीनिया टेक के वैज्ञानिक वॉरेन बूथ बताते हैं कि खटमल शायद उन पहले कीटों में शामिल थे जिन्होंने शहरी जीवन के लिए जैविक रूप से खुद को पूरी तरह ढाल लिया।

तुलना करें तो घरेलू चूहे 15,000 वर्षों से इंसानों के साथ रहते आए हैं, लेकिन वे आज भी इंसानों के बिना जिंदा रह सकते हैं। जर्मन कॉकरोच या काले चूहे जैसे अन्य कीट बहुत बाद में इंसानी बस्तियों से जुड़े। खटमल इस मामले में “असली शहरी कीट” माने जा सकते हैं।

क्या खटमल हमें भविष्य का रास्ता दिखा सकते हैं?

ओस्लो विश्वविद्यालय के विकासवादी जीवविज्ञानी मार्क रविनेट का मानना है कि खटमल हमें यह समझने में मदद कर सकते हैं कि किस तरह जीव-जंतु मानव परिवेश में इतनी तेजी से ढलते हैं। उनकी राय में खटमल की अलग-अलग जगहों पर समान रूप से इंसानों से जुड़ने की क्षमता यह संकेत देती है कि यह अनुकूलन कोई इत्तेफाक नहीं, बल्कि एक जीवित रणनीति थी।


 

 

Leave a Comment