दो दिन पहले संभवतः वह दिन आ चुका है, जब मानवता के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण खोज का प्रथम अध्याय लिखा जा चुका है। किसी ऐरे-गैरे ने नहीं, बल्कि नासा ने स्वयं यह घोषणा की है कि उन्हें मंगल ग्रह पर “एलियन लाइफ” की मौजूदगी के साक्ष्य मिल गए हैं।
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मंगल पर मौजूद नासा के “पर्सिवेरेंस रोवर” ने कुछ चट्टानों का निरीक्षण कर उनमें आयरन-सल्फाइड और हाईड्रेटेड आयरन फास्फेट पाया है। बकौल नासा – ये एक “बायोसिग्नेचर” हैं, अर्थात कोई जीवित वस्तु ही Reduction & Oxidation से मेटाबोलिक प्रोसेस के जरिये इन मिनरल्स को जन्म दे सकती है। वैसे तो यह प्रक्रिया अजैविक प्राकृतिक कारणों से भी हो सकती है पर डाटा का एक साल तक अध्ययन करने के बाद यह विश्वास से कहा जा सकता है कि इन मिनरल्स का स्त्रोत जीवन ही है। अजैविक स्त्रोत को जन्म देने वाली परिस्थितियां इस केस में नहीं हैं।
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इस बात के पर्याप्त साक्ष्य पहले से हैं कि आज से तीन अरब साल पहले मंगल ग्रह पर “झील, नदियां, समंदर और हवा” आम चीजें होते थे। अगर किसी तरह का सूक्ष्म-जीवन सौरमंडल निर्माण के इतने कम समय के अंदर मंगल पर उत्पन्न हुआ था तो यह इस बात का मजबूत साक्ष्य है कि – जीवन स्वयं कोई दुर्लभ घटना नहीं है। जहां भी जीवन को उत्पन्न होने योग्य उचित परिस्थितियां मिलती हैं – वहां जीवन की उत्पत्ति एक इत्तेफाक की बजाय नियम बन जाती है।
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हमारे आसपास के सौ प्रकाशवर्ष के दायरे में ही जीवन योग्य हजारों ग्रह मौजूद हैं। आकाशगंगा में ऐसे ग्रहों की संख्या करोड़ों में होगी। यह कहना अभी भी जल्दबाजी होगी कि मंगल पर जीवन के साक्ष्य मिल गए हैं। चूंकि दावा बेहद असाधारण है, इसलिए बुद्धिमता तो यही कहती है कि इंतजार किया जाए, जब तक कि मंगल की उन चट्टानों को किसी प्रकार भौतिक निरीक्षण के लिए पृथ्वी तक ला पाने की कोई तरकीब कामयाब न हो जाये। पर इस बात से इनकार नहीं कि स्वयं नासा से आई यह घोषणा बहुत मायने रखती है। याद रखिये कि जीवन की उत्पत्ति के संबंध में ब्रह्मांड में एक ही नियम काम करता है – Either One or Infinity !!
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अर्थात, या तो कोई काम सिर्फ एक बार होता है। पर अगर वह काम दो बार हो सकता है तो बार-बार और अनंत बार भी हो सकता है।
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अर्थात – जिस दिन पृथ्वी के परे कहीं अन्यत्र जीवन की उत्पत्ति का साक्ष्य मिल गया, उस दिन यह अपने-आप साबित हो जाएगा कि…
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ब्रह्मांड में जीवन के एक नहीं….अनेक सुर-संगीत गूंज रहे हैं –
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