ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर जताई गंभीर चिंता

                                समुद्री हीटवेव और स्वास्थ्य संकट की चेतावनी

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, समुद्रों में रिकॉर्ड-तोड़ तापमान वृद्धि और उष्णकटिबंधीय रोगों के फैलाव जैसी घटनाएं इस संकट की गंभीरता को दर्शाती हैं।

                                                            समुद्री हीटवेव: जैव विविधता पर खतरा

ब्रिटेन के पश्चिमी तट और आयरलैंड के आसपास के समुद्री क्षेत्रों में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 2°C से 4°C तक अधिक दर्ज किया गया है। यह स्थिति मार्च 2025 से जारी है और वैज्ञानिक इसे अब तक की सबसे लंबी समुद्री हीटवेव मानते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से मानवजनित ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, इस असामान्य गर्मी के मुख्य कारण हैं। इससे समुद्री जीवन, जैसे प्लवक की प्रजनन प्रक्रिया, प्रभावित हो सकती है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

                                                                   उष्णकटिबंधीय रोगों का खतरा

ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ब्रिटेन में उष्णकटिबंधीय रोगों, जैसे वेस्ट नाइल वायरस, डेंगू, चिकनगुनिया और जीका, के फैलने का खतरा बढ़ रहा है। गर्म होते मौसम के कारण मच्छरों की प्रजातियां, जैसे एशियन टाइगर मच्छर, ब्रिटेन में पनपने लगी हैं। हालांकि अभी तक मानवों में इन रोगों का संक्रमण नहीं पाया गया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वैश्विक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में निवेश नहीं बढ़ाया गया, तो भविष्य में इन रोगों का प्रसार संभव है।

                                              वैज्ञानिकों की अपील: तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता

ब्रिटेन के प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि वे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस और महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाएं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल और निर्णायक कदम नहीं उठाए गए, तो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोकना असंभव हो जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि 1.5°C की वैश्विक तापमान वृद्धि की सीमा को पार करना पारिस्थितिकी तंत्र और मानव जीवन के लिए विनाशकारी हो सकता है।

इन चेतावनियों के बीच, वैज्ञानिकों का स्पष्ट संदेश है: जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाना अनिवार्य है। यदि अब कार्रवाई नहीं की गई, तो इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीवन, मानव स्वास्थ्य और वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।

 

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