बिजनौर (Bijnor) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) राज्य का एक महत्वपूर्ण जिला और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। इस जिले में पांच विधान सभा क्षेत्र आते हैं।
बिजनौर का पुराना नाम –
बिजनौर जिला 1817 में मुरादाबाद जिले के एक हिस्से से बनाया गया था, और इसे मूल रूप से नगीना जिला कहा जाता था क्योंकि इसका मुख्यालय नगीना में था। मुख्यालय को 1824 में बिजनौर में स्थानांतरित कर दिया गया था, हालांकि जिले को 1837 तक “नगीना जिला” कहा जाता था, जब इसे आधिकारिक तौर पर बिजनौर जिले के रूप में जाना जाने लगा।
जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति:
2011 की जनगणना के अनुसार, बिजनौर की कुल जनसंख्या लगभग 36 लाख है और इसका क्षेत्रफल 4,561 वर्ग किलोमीटर है। जिले की जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 807 लोग है। यहां की साक्षरता दर 68.48% है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता 76.56% और महिलाओं की साक्षरता दर 59.72% है। बिजनौर का लिंग अनुपात 917 है।
इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर:
बिजनौर को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से विशेष महत्व प्राप्त है। यह महाराजा दुष्यंत, सम्राट भरत, ऋषि कण्व और महात्मा विदुर की कर्मभूमि रहा है। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी श्रद्धानंद और वैज्ञानिक डॉ. आत्माराम जैसे महान व्यक्तित्व इसी धरती से जुड़े हैं।
साहित्य और कला में योगदान:
बिजनौर ने साहित्य जगत में भी अपनी विशेष पहचान बनाई है। कालिदास ने अपने प्रसिद्ध नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम में यहां की मालिनी नदी का उल्लेख किया है। उर्दू साहित्य में भी बिजनौर का स्थान अद्वितीय है।
पर्यटन और कृषि:
गंगा नदी के निकट स्थित बिजनौर का प्रमुख हिस्सा कृषि आधारित है। यहां रबी, खरीफ और जायद फसलें होती हैं। गन्ना, गेहूं, चावल और मूंगफली यहां की मुख्य फसलें हैं।
पर्यटन के लिए कण्व आश्रम, विदुरकुटी, दारानगर, पारसनाथ का किला और सेंदवार प्रमुख स्थान हैं।
फिल्म जगत से संबंध:
बिजनौर ने भारतीय फिल्म उद्योग को कई प्रतिभाएं दी हैं। फिल्म निर्माता प्रकाश मेहरा, अभिनेता शाहिद बिजनौरी और लेखक-निर्माता दानिश जावेद इसी जिले से जुड़े हैं। इसके अलावा, विशाल भारद्वाज जैसे प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और संगीतकार भी यहीं के निवासी हैं।
बिजनौर अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, जो इसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिलों में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।
बिजनौर रहने के लिए अच्छा है क्योंकि यहाँ से अस्पताल, स्कूल और घरेलू उपकरणों के लिए बाज़ार जैसी सभी ज़रूरी चीज़ें पैदल दूरी पर हैं। यहाँ वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की समस्या नहीं है, क्योंकि मुंबई और दिल्ली में हर कोई शांतिपूर्ण जीवन नहीं जी सकता है।